Pic courtesy: Modi in UN (BBC News) |
भारत के लिए वो ऐतिहासिक क्षण था
जब संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 11 डिसेंबर 2014 को पारित किए प्रस्ताव के द्वारा
21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया| यह सम्भव हुआ भारत के माननीय
प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदि जी के सकारात्मक प्रयासो से| मोदि जी स्वयम योग एवम्
योग की शक्ति में गहरा विश्वास रखते है| विश्व के राष्ट्रो ने इस प्रस्ताव को मिलके
समर्थन किया था|
आज जब विश्व भौतिक विकास की होड़ में अन्तर की शान्ति का अभाव महसूस कर रहा है,
तब विकास के समग्र दृष्टिकोण (holistic approach) की बात हो रही हॅ, जिसमे फिर से अपने
पारम्परिक प्राकृतिक जीवन शैली को अपनाने पे भर दिया जा रहा है (back to basics)| इसी
मुद्दे पे मोदि जी ने 27 September 2014 को संयुक्त राष्ट्र
में दिए अपने वक्तव्य में कहा था “योग हमारी पुरातन पारम्परिक अमूल्य देन है। योग
मन व शरीर, विचार व कर्म, संयम व उपलब्धि की एकात्मता का तथा मानव
व प्रकृति के बीच सामन्जस्य का मूर्त रूप है। यह स्वास्थ्य व कल्याण का समग्र
दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम भर न होकर
अपने आप से तथा विश्व व प्रकृति के साथ तादम्य को प्राप्त करने का
माध्यम है। यह हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर तथा हम में जागरूकता उत्पन्न
करके जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक हो सकता है”।
मार्च 2015 में सेशेल्स दौरे के समय एक स्थानिक समाचार पत्र में साक्षात्कार में
मोदी जी ने कहा था "में योगः कर्मसु कौशलम्
में विश्वास रखता हू, जिसका अर्थ है अपने कर्म में उत्कृष्टता| इस सिद्धान्त को अपने
जीवन में आत्मसात करने से मुझे जीवेन में संतुष्टता का अनुभव होता हा| कर्म से मुझे
संतुष्टि की प्राप्ति होती है जिसके फलस्वरूप मुझे परम शान्ति का अनुभव होता है|
24 अक्टोबर 2015 को मुम्बई
में दिए अपने एक वक्तव्य में मोदी जी ने कहा था “Holistic Healthcare पूरी दुनिया के अंदर एक बहुत बड़े आकर्षण का केन्द्र बना
हुआ है। अच्छे से अच्छे डॉक्टर भी होमियोपैथिक की ओर जा रहे हैं। Holistic
Healthcare का मूड बना रहे हैं। तनाव से भरपूर जीवन से तनाव रहित जीवन की ओर
जाने के लिए मूड बना रहे हैं। और दुनिया को सही चीज़ कैसे
मिले, अगर हमारे पास एसी विरासत हैं तो इसको कैसे दिया जा सके। उस
दिशा में हम अगर प्रयास करते हैं तो हम अपना तो कल्याण कर ही सकते हैं, लेकिन औरों का भी कल्याण कर सकते हैं”।
आज योग का अर्थ मात्र शारीरिक व्यायाम
समझा जाने लगा है| उस पर मोदी जी का कहना है “कुछ लोग आसन को ही योग
मान लेते हैं। लेकिन क्या सर्कस में काम करने वाले योगी हैं क्या? लेकिन योग वह नहीं है।
ज्ञान, कर्म और भक्ति
को सम्यक मार्ग पर ले जाने का सामर्थ्य जिसमें है, वो योगी है। योग उस अवस्था को प्राप्त
करने का अवसर देता है,
जब मन, वचन और बुद्धि, इन तीनों में सामंजस्य
हो| मन को
नियंत्रित करके शांत रखने का उपाये ही योग है। हमारे शास्त्रों ने कहा है कि मन का
समत्व योग है”।
संयुक्त राष्ट्र
के द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने पर मोदी जी ने कहा था “मुझे विश्वास
है कि अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस के द्वारा विश्व जो तनाव के संकट से गुजर रहा है, व्यक्ति जो
तनाव महसूस करता है, व्यक्ति जो अपनी समस्याओं को अगल-बगल में भी शेयर नहीं कर
पा रहा है वो खुद के साथ अपने आप को जोडकर अपने तनावों को मुक्त करने का सामर्थ्य
पा सकता है| आखिरकर व्यक्ति तनाव मुक्त होगा, तो समाज भी
तनाव मुक्त होगा। समाज तनाव मुक्त बना, तो पूरी मानव जाति तनाव मुक्त हो सकती है
और अगर मानव जाति तनाव मुक्त हुई तो पूरा विश्व
सुख शांति और सौहार्द के वातावरण से पुलकित हो सकता है”।
साथ ही अंतरराष्ट्रीय
समुदाय का धन्यवाद करते हुए कहा “मैं पूरे विश्व समुदाय का योगा दिवस को समर्थन करने के लिए
हृदय से अभिनंदन करता हूं और मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि ये प्रयास आपकी
जिंदगी को तनाव मुक्ति बनाए, आपके जीवन को खुशियों से भर दे, आप भी वर्तमान
में जीना सीखें, आप भी खुद की शक्ति, सामर्थ्य को
पहचानें, अपने भीतर की शक्तियों को और अधिक शक्तिशाली बनाने के रास्ते को प्राप्त
करें”। “लेकिन तब भारत की एक विशेष जिम्मेवारी बनती है कि जिस धरती
पर से योग की कल्पना का जन्म हुआ, हमें विश्व को सही योग का परिचय करवाना होगा। योग की सभी
बातें विश्व तक पहुंचानी होगी और वो भी एक संतुलित संपन्न और सशक्त मानवजात के
लिए आवश्यक है, इस रूप में
योग की प्रस्तुति हो”।
तो आइए, माननीय
श्री मोदीजी के इस विधान को योग दिवस पर अमल करके इस ऐतिहासिक दिवस को सफल बनाते है
“आइए हम सब मिलकर मानव कल्याण के लिए उपयोगी इस एक महान शास्त्र के साथ जुड़े।
महान विरासत के साथ जुड़ें और ये विरासत मानव की विरासत है, ये आपकी
विरासत है और ये आपका दायित्व है कि आने वाली पीढ़ियों को उत्तम तरीके से ये
विरासत सुपुर्द करें। और इसके लिए खुद को सुसज्ज करें”।
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